आप रसगङ्गाधर के लेखक पण्डितराज जगन्नाथ के समग्र जीवन का परिचय प्राप्त करेंगे । संस्कृत काव्यशास्त्र जगत् में पण्डितराज जगन्नाथ का स्थान अतीव महत्त्वपूर्ण एवं समादरणीय है । प्रसिद्ध आचार्य आनन्दवर्धन और आचार्य मम्मट के बाद कदाचित् ये पहले आचार्य हैं, जिन्हें काव्यशास्त्र के क्षेत्र में व्यापक सम्मान मिला । आधुनिक काव्यशास्त्रियों में संस्कृत भाषा पर इनके समान प्रवाहपूर्ण पाण्डित्य अन्यत्र दुर्लभ ही है । पण्डितराज नैसर्गिक कवित्व से सम्पन्न काव्यशास्त्रीय आचार्य हैं । संस्कृत काव्यशास्त्र के इतिहास में वे ऐसे अन्तिम प्रौढ काव्यशास्त्री हैं, जिन्हें पाण्डित्य की कसौटी समझा जा सकता है। वे एक यथार्थ समालोचक हैं, जिनकी निष्पक्ष समालोचना ने आनन्दवर्धन, मम्मट, अप्पय्यदीक्षित आदि को भी नहीं छोड़ा है । इस पाठ में आप पण्डितराज जगन्नाथ का जीवनपरिचय, रचनापरिचय, पण्डितराज के विषय में प्रचलित कुछ किंविदन्तियाँ, रसगङ्गाधर का संक्षिप्त परिचय आदि के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।