गीता ऐतिहासिक तथा वेदसम्बद्ध है। गीता के सम्बन्ध में विचार अवश्यक है क्योंकि चतुर्विध पुरुषार्थ से सम्बद्ध अनन्त उपदेश रत्नों के महासागर   वेद, उपनिषद्, पुराण, दर्शन आदि का एकमात्र प्रतिनिधि ग्रन्थ गीता एक महत्त्वपूर्ण अंश है। जो सम्भवतः लौकिक-परालौकिक दोनों दृष्टियों से मानव मात्र के लिए अतिशय उपादेय तथा नित्य प्रयोजनीय होने से इसका महत्त्व और बढ जाता है। वेद में, गीता में भगवत्प्राप्ति के प्रति साधनता का अनेक प्रकार से उपदेश दिया है।